हिंदी भाषा का माहात्म्य
हिंदी-भाषा के बिना,कभी न हो कल्यान।
आवो मिल कर सब करें,हिंदी का सम्मान।।
हिंदी-भाषा राष्ट्र की,आन-बान औ शान।
हिंदी में अभिव्यक्ति से,मिलती है पहचान।।
अपनी बोली बोल कर,तन-मन प्रमुदित होय।
मीरा-तुलसी-सूर ने,दिया बीज है बोय ।।
करें प्रतिज्ञा आज हम,भारत-भाषा हेतु।
करें पार हम ज्ञान-सर,चढ़ निज भाषा-सेतु।।
हो विकसित समुचित यहाँ, हिंदी-भाषा-ज्ञान।
होवे लेखन-कथन में,हिंदी का गुण-गान ।।
चाहे हो इंग्लैंड भी,वा अमरीका देश।
हिंदी का डंका बजे,चहुँ-दिशि,देश-विदेश।।
भारतेन्दु कविश्रेष्ठ ने,दिया चेतना खोल।
हमें कराया स्मरण,निज भाषा अनमोल।।
उनके प्रति इस देश के,हैं कृतज्ञ सब लोग।
निज भाषा का दे दिया,सुंदर-अनुपम भोग।।
हिंदी भाषा का हमें,करना है उत्थान।
इससे बढ़कर है नहीं,कोई कर्म महान।।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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