डॉ0 हरि नाथ मिश्र

स्त्री और लालटेन(दोहे)


लालटेन ले हाथ में,किए आँख को बंद।


अद्भुत अनुभव कर रहा,नारी-मन आनंद।।


 


लालटेन की ज्योति में,देख पिया को ठाढ़।


मुँदी आँख जनु स्वयं ही,उमड़ा प्रेम प्रगाढ़।।


 


निशा तो तिमिराछन्न है,पर हिय भरा उजास।


कष्ट भरी रजनी कटे,जब पिय-मिलन उलास।।


 


लालटेन संकेत है,अन्तरहृदय-प्रकाश।


यह प्रकाश अनुभूति कर,हर्षित हृदय निराश।।


 


निबिड़ तिमिर की रात में,प्रियतम-आहट पाय।


लालटेन की ज्योति में,लख पिय अति शरमाय।।


 


पिय-वियोग में नारि के,पिचक गए हैं गाल।


मुँदी आँख पा पिय-दरश, मारे खुशी निहाल।।


 


नारी-हिय है गंग-जल,प्रियतम भक्त समान।


प्रेम-भक्ति के भाव से,शुचि मन कर स्नान।।


                डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                  9919446372


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