साक्षरता
मानव बनता सभ्य तब,जब हो अक्षर-ज्ञान।
चलो चलाएँ मिल सभी,साक्षरता-अभियान।।
अक्षर-ज्ञान-अभाव तो,है जीवन-अभिशाप।
शिक्षा से सुधरे सभी,मानव-क्रिया-कलाप।।
विश्व-समस्या यह विकट,करें इसे निर्मूल।
करें सजग सबको अभी,बिना किसी को भूल।।
केवल भाषण से नहीं,होगा इसका काम।
घर-घर जाकर छेड़ना,है इसका संग्राम।।
जन-जागृति,जन-चेतना,शिक्षा-अभिरुचि साथ।
संभव होगी जब मिलें, सबके हाथ से हाथ ।।
शिक्षा से कल्याण हो,शिक्षा शान समाज।
शिक्षा को विकसित करें, दृढ़प्रतिज्ञ हो आज।।
साक्षरता का पर्व यह,दीपक ज्ञान-प्रकाश।
जले ज्ञान की ज्योति जग,रवि-शशि इव आकाश।।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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