डॉ0 हरि नाथ मिश्र

तृतीय चरण (श्रीरामचरितबखान)-22


 


इत-उत पुनि बिचरहिं प्रभु रामा।


सिय खोजत बन अथक-अश्रामा।।


     लखन सहित प्रभु चहुँ-दिसि ताकैं।


     पाइ न सीता इत-उत झाकैं।।


कानन महँ लखि दनुज कबंधा।


हते ताहि प्रभु कीन्ह अबंधा ।।


    मोरि भागि दुरबासा सापा।।


    पायहुँ मुक्ति राम-परतापा।।


राम भगत-बत्सल-भगवाना।


बनि गंधर्ब कबंधय जाना।।


    लखि के निर्छल भगति कबंधा।


    प्रभु गंधर्बहिं कीन्ह अबंधा।।


पहुँचे तब प्रभु सबरी-आश्रम।


प्रभु-मग लखत रही जे हरदम।।


    स्यामल बदन,माल गर सोहै।


    जटा-मुकुट सिर बड़ मन मोहै।।


लखिके राम-लखन मग आवत।


गइ सबरी तहँ धावत-धावत ।।


     गौर बरन लछिमन बड़ सोभन।


     सुंदर तन,लोचन मन-मोहन।।


बेरि-बेरि प्रभु-लखन निहारय।


सबरी-मुख कछु बचन न आवय।।


     पुलकित तन-मन भरि अनुरागा।


     पुनि-पुनि प्रभु-सरोज-पद लागा।।


लाइ सुद्ध जल पाँव पखारी।


सुंदर-सुचि आसन बैठारी।।


    कंदइ-मूल,सरस फल लइ के।


    प्रभुहिं ख़िलावहि प्रमुदित भइ के।।


मम कुल-जाति अधम प्रभु रामा।


मैं अछूत,अवगुन कै ग्रामा ।।


   कस मैं करूँ प्रभू तव सेवा।


   जानि सकूँ नहिं जग लखि भेवा।।


दोहा-अस बिचार सबरी सुनी, राम कहहिं इक बाति।


         मम प्रिय बस निर्छल भगति,कुल न लखहुँ, नहिं जाति।।


        जस जल बिनु नीरद नहीं,कांतिहीन जस कंत।


        भगतिहीन धन-पद सहित,भाय न मोंहि महंत।।


                     डॉ0हरि नाथ मिश्र


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 अठवाँ अध्याय (श्रीकृष्णचरितबखान)-2


 


सुनि अस बचन नंद बाबा कै।


गर्गाचार बाति कह मन कै।।


     सुनहु नंद जग जानै सोई।


     गुरु जदुबंस कुलयि हम होंई।।


कहे नंद बाबा हे गुरुवर।


अति गुप करउ कार ई ऋषिवर।।


    'स्वस्तिक-वाचन' मम गोसाला।


     अति गुप-चुप प्रभु करउ निराला।।


अति एकांत जगह ऊ अहई।


नामकरन तहँ बिधिवत भवई।।


    गुप-चुप कीन्हा गर्गाचारा।


    तुरतयि नामकरन संस्कारा।।


'रौहिनेय' रामयि भे नामा।


तनय रोहिनी अरु 'बल'-धामा।।


    रखहिं सबहिं सँग प्रेम क भावा।


     नाम 'संकर्षन' यहि तें पावा ।।


साँवर तन वाला ई बालक।


रहा सबहिं जुग असुरन्ह-घालक।।


    धवल-रकत अरु पीतहि बरना।


    पाछिल जुगहिं रहा ई धरना।


सोरठा-नंद सुनहु धरि ध्यान,कृष्न बरन यहि जन्महीं।


           नाम कृष्न गुन-खान,रखहु अबहिं यहि कै यहीं।।


                          डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                           9919446372


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