भारत-गौरव हिंदी
करें सभी सम्मान जगत में,
हिंदी-भाषा रानी का।
बोधगम्यता और सरलता-
सहज प्रवाह-रवानी का।।
भारतेंदु ने सबसे पहले,
इसका है गुणगान किया।
हिंदी अपना गौरव कहकर,
इसका है सम्मान किया।
यही देश की प्राणवायु है-
उन्नति-स्रोत कहानी का।।
बनकर स्नेह सूत्र ही हिंदी,
रखे सभी दिल को जोड़े।
प्रेम-दीप की ज्योति जलाकर,
इर्ष्या-तम का रुख मोड़े।
ज्ञान-कोष अक्षुण्ण है हिंदी-
भाषा हिंदुस्तानी का।।
आन-बान यह शान देश की,
मर्यादा है भारत की।
यह विकास-सोपान प्रथम है,
वाणी ज्ञान-विशारद की।
हर जिह्वा पर चढ़कर बोले-
मंत्र-सूत्र इव ज्ञानी का।।
सीखें और सिखाएँ सबको,
हिंदी-भाषा-बोली को।
अभी विदेश- देश में जा कर,
अपने सब हमजोली को।
कर विकसित नव शब्द-कोष को-
जो सहाय विज्ञानी का।।
'क' से कहना कमल व कबूतर,
'ख' से कहना है खरगोश।
'ग' से बनते गणेश देवता,
'घ' से घड़ी समय-उद्घोष।
'अ'-'आ' से अमरूद व आम हों-
कोमल बोल सुहानी का।।
बोधगम्यता और सरलता,
सहज प्रवाह-रवानी का।।
करें सभी सम्मान जगत में-
हिंदी-भाषा रानी का।
© डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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