कोरोनाकाल में जीवन का स्वरूप
कोरोना काल में बदल गया
मानव जीवन का स्वरूप
तीज त्योहार जन्म -मरण हो
हर उत्सव का बदला रूप
शादी -ब्याह की रौनक खो गई
संस्कृति का बदला हर ढंग
खुशी का अवसर या की गमी हो
आज नहीं होता कोई संग
कोरोना के भय से सिमटा
सारा जहाँ हमारा है
हर कोई कहता दूर रहो भाई
जीवन हमको प्यारा है
भ्रमण ,तीर्थाटन ,मंदिर, मस्जिद
सब पर पड़ गया ताला है
आज याद आते वो दिन हैं
जहाँ ये जीवन पला है।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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