सुप्रभात
उषा की बेला में नभ में
हुआ प्रातः का सूत्रपात
प्रकटे दिनकर धीरे धीरे
किया तिमिर का नाश
निशा सुंदरी चली गगन में
भोर का हुआ उजास
सूर्य रश्मियाँ फैली जग में
मुस्काया सारा संसार
सिंदूरी रंगों से सजा है
आसमान का द्वार
स्वागत, वन्दन औऱ अभिनन्दन
गाये प्रकृति मल्हार
सुंदर रम्य मनोरम दृश्य है
नैनो में बस जाए
जागो उठो बढो सब आगे
यही संदेश सुनाए
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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