डॉ0 निर्मला शर्मा

संस्कृति


विश्व की हर संस्कृति से मेरी संस्कृति निराली है


अध्यात्म योग का समन्वय ये


दर्शन और ज्ञान का क्षेत्र प्रबल


कल कल करती नदियाँ बहती


झर झर झरनों से बहता जल


अतिथि को देव तुल्य माने


नहीं कोई ये भेदभाव जाने


सबका ही किया स्वागत हर क्षण


कर लिया समन्वित न किया क्षरण


हैं विविध नृत्य संगीत यहाँ


परिधानों में दिखता भारत


हर रंग निराला है जिसका


है विश्व शांति ध्येय इसका


है खान पान की विविधता यहाँ


जीने का ढंग निराला है


भारतीय संस्कृति में वसुधा को


माता कहकर के पुकारा है


वसुधैव कुटुम्बकम समझ के हम


संसार को अपना बनाते हैं


करें नमस्कार करें दण्डवत


आदर से शीश नवाते हैं


है विश्व गुरु भारत जग में


अगुवाई विश्व की करता है


हिंदी जिसकी मीठी बोली


संसार भी उसे बोलता है


अपनी संस्कृति पर मै गर्व करूँ


उसे शीश झुका कर नमन करूँ।


 


डॉ0 निर्मला शर्मा


दौसा राजस्थान


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