गुरु शिष्य का भाग्य विधाता
गुरु शिष्य का भाग्य विधाता
जीवन के गुर वही सिखलाता
अक्षर वर्ण का ज्ञान हो चाहे जीवन का
हर सबक सिखलाता है
क्या अच्छा है क्या चुनना है
अनुभव शिष्य को वही करवाता
पथरीली राहों पर चलना
साध कदम कैसे है निकलना
कदमों की चापों को समझना
दिशा निर्देश वो ही करवाता
गुरु आशीष मिले जब शिष्य को
वह हर संकट से तर जाता
गढ़ता सुघड़ व्यक्तित्व बुद्धि से
शिष्य की नैया पार कराता
गुरु शिष्य के जीवन में आया
बनकर उसका भाग्यविधाता
सर्वांगीण विकास करे वह
स्वार्थ लोभ से वह कतराता
शिष्य में देखे छवि वह अपनी
उसे राष्ट्र निर्माता बनाता
हो चाणक्य अथवा द्रोणाचार्य
गुरु वशिष्ठ या परशुराम
आदि शिव जगत गुरु ऐसे
जिनकी कृपा से मंगल आता
गुरु है शिष्य का भाग्य विधाता।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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