पूर्वजों को नमन
श्रद्धावनत होकर करें,
पितृ पक्ष में श्राद्ध।
कुल के जनक हमारे,
करो कृपा अगाध।
शीश झुका वन्दन करूँ,
नमन मैं बारम्बार।
पितृ देव आराधन करूँ,
दीजै आशीष अपार।
जीवन सुखमय हो मेरा,
आये न कोई बाधा ।
वंश दीप जलता रहे,
यश वृद्धि हो सदा।
कुलदीपक जिनके संसार में,
पूर्वजों का नाम बढ़ाते हैं।
सुख समृद्धि बरसे उस घर में,
वे आशीष सभी का पाते हैं।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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