डॉ0 रामबली मिश्र

मेरी अभिनव मधुशाला


 


सत्य लोक से चला भूमि की, ओर चमकता मम प्याला;


करुण सिंधु को लिये चक्षु में, भभक रही मेरी हाला:


दीनों को मधु पान कराने ,को दीवाना साकी है;


मधुर प्रतिष्ठित सरस गामिनी, मेरी अभिनव मधुशाला।


 


प्याले का कुछ हाल न पूछो, अति अद्भुत स्वर्णिम प्याला;


भरी हुई है मधुर भाषिणी,जिसमें दिव्य धवल हाला;


पीनेवालों का यह आलम, सभी प्रेम के आशिक हैं;


दिव्य लोक से आ धमकी है, मेरी अभिनव मधुशाला।


 


डॉ0 रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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