डॉ0 रामबली मिश्र

प्रिय बोली से अमृत बरसत।


कटु बोली आजीवन तरसत।।


 


प्रिय बोली है ब्रह्म समाना।


कटु बोली से जान गँवाना।।


 


बोलो मीठी बोली भाषा।


रच विनम्रता की परिभाषा।।


 


मीठी बोली औषधि जैसी।


कर कटुता की ऐसी-तैसी।।


 


शोक हरो अरु मन की पीड़ा।


मीठी बोली की लो वीणा।।


 


मीठे वचन बोल कर आदर।


कटुक बोल मत करो अनादर।।


 


सबको कर प्रणम नित सादर।


झुक कर सबका करो समादर।।


 


मत करना अपमान किसी का।


करते रह सम्मान सभी का।।


 


मीठे वचनों का संवादी।


बनकर रच मीठी आवादी।।


 


:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


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