डॉ0 रामबली मिश्र

नम्र विनम्र सहज शलीना।


सदा ध्यान सम्मान प्रवीना।।


 


हिय में रुचि मन में अति हर्षा।


अंतस में सावन की वर्षा।।


 


खोज-खबर की इच्छा हर पल।


गर्मजोश मादक मृदु हलचल।।


 


परम समर्पण भाव सुधा सम।


उद्वेलित प्रिय मानस आगम।।


 


चाहत मेँ संवाद स्नेहमय ।


भीतर से आवाद गेहमय।।


 


अति संतुष्टमना प्रियदर्शी।


शलिग्राम सम ब्रह्म-महर्शी।।


 


वचन रसामृत सुघर सलोना।


भावुक जीवन का हर कोना।।


 


सहयोगी प्रवृत्ति मनभावन।


साहचर्य अति हृदय लुभावन।।


 


अति विशालता का नित परिचय।


संभावित व्यापकता अतिधय।।


 


दिव्य रीति रस का आलय है।


सत्व प्रेम का देवालय है।।


 


डॉ0रामबली मिश्र


हरिहरपुरी 


9838453801


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