डॉ0 रामबली मिश्र

इन्तजार


 


अपना काम छोडकर,


दूसरे का इंतजार क्यों कर रहे हो?


अपना काम रोककर,


दुसरे से अपेक्षा क्यों कर रहे हो?


दुसरे से आशा कर,


अपनी उपेक्षा क्यों कर रहे हो?


नादान दोस्त!


अगर तुम अपना काम करते 


और आगे बढ़ते रहते ,


तो तुम आगे होते 


सफलता के शीर्ष पर होते।


दूसरों के चक्कर में,


तुमने अपना सब कुछ मिटा दिया 


अपनी तमन्ना को धूल चटा दिया।


अब रो रहे हो 


जंगल में हो 


कोई सुननेवाला नहीं 


कोई आँसू पोंछनेवाला नहीं।


अगर तुम खुद को देखते 


तो आज आज आदर्श बनते।


पर अफसोस!


आज तुम सीमान्त हो 


भयाक्रांत हो।


डरे हो न 


मरे हो न 


अपने कारण 


अकारण 


चलो 


अब तो सोचो 


अब भी समय है 


चेत जाओ तो अच्छा है 


अन्यथा सब बुरा है।


 


: डॉ0 रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...