मुझको प्रिय मानव बनने दो
दुनिया का सब कुछ सहने दो।
मुझको प्रिय मानव बनने दो।।
बहुत अधिक हैं मुझमें कमियाँ।
सारी कमियों की मैं दुनिया।।
मेरी कमियों को जाने दो।
सुन्दर भावों को आने दो।।
सबकी सुन सब कुछ पी जाऊँ।
मन में कुछ भी ग्लानि न लाऊँ।।
करुँ सभी से क्षमा याचना।
सहता जाऊँ सकल यातना।।
मुझको क्षमा करे यह दुनिया।
अथवा जैसा चाहे दुनिया ।।
मुझ पर दुनिया क पूरा हक।
यह दुनिया मेरा अध्यापक।।
मैं दुनिया में सदा ढलूँगा।
इक सुन्दर इंसान बनूँगा।।
रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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