डॉ0 रामबली मिश्र

आत्मतोष


बहुत बड़ी चीज है यार।


साक्षात ईश्वर का प्यार।।


इससे अधिक तो कुछ नहीं।


सबसे बड़ा तो है यही।।


यह मिला तो सब कुछ मिला।


नहीं मिला तो बहुत गिला।।


पाया यह तो सब पाया।


तब फीकी-फीकी माया।।


 


:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...