डॉ0 रामबली मिश्र

 


श्वेत वस्त्र में भले टहलना।


श्वेतपोश अपराध न करना।।


 


श्वेतपोश को दूषित मत कर।


श्वेत वस्त्र को प्रोन्नत करना।।


 


श्वेत वस्त्र पर काला धब्बा।


नहीं पोत कर कभी मचलना।।


 


श्वेत वसन गौरवशाली है।


इस गौरव को कायम रखना।।


 


यह कुलीनता का प्रतीक है।


पहनावे की रक्षा करना।।


 


बुरा कर्म मत करना वंदे।


मर्यादा का पालन करना।।


 


तड़क-भड़क कपड़े के पीछे।


पाप कर्म को कभी न करना।।


 


श्वेतपोश अति सात्विक पावन।


निर्मल मन को स्थापित करना।।


 


धोखा देना नहीं किसी को।


नहीं किसी का शोषण करना।।


 


श्वेतपोश ही ब्रह्म वस्त्र है।


ब्रह्मदेव से डरते रहना।।


 


यह समाज की ब्रहमण संस्कृति।


उच्च भाव को नियमित करना।।


 


है समाज का उच्चासन यह।


नहीं कलंकित इसको करना।।


 


श्वेत वस्त्र धारण कर प्यारे।


शुभ शिव प्रिय कृति रचते रहना।।


 


रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


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