डॉ0 रामबली मिश्र

मानवता पर सदा ध्यान हो


 


मन में केवल यही भान हो।


मानवता पर सदा ध्यान हो।।


 


मन में हो संकल्प एक ही।


मानवता का सतत ज्ञान हो।।


 


बहुत कठिन है मानव बनना।


मानवता का विधि-विधान हो।।


 


करें सभी नियमों का पालन।।


मानवता का संविधान हो।।


 


जागरूक हो दिलचस्पी लें।


मानव बनने का विधान हो।।


 


फैले मानववाद हर तरफ।


टूटे निद्रा अब विहान हो।।


 


घोर निराशा से सब उबरें।


कामधेनु का अब दोहान हो।।


 


जगती की अब मिटे उदासी।


दया दमन अरु दान मान हो।।


 


भेद मिटे ग्रंथियाँ भस्म हों।


प्रीति परस्पर की उड़ान हो।।


 


मिलजुलकर सब रहना सीखें ।


सकल विश्व यह इक मकान हो।।


 


बने मित्र यह सारी दुनिया।


सकल भूमि पर हक समान हो।।


 


मिटे परायेपन की दुविधा।


अपनेपन का सहज तान हो।।


 


होड़ लगे मानव बनने की।


सबका सात्विक खान-पान हो 


 


भोग त्यागकर त्याग-राग हो।


सबका दिल व्यापक महान हो।।


 


रचनाकार :डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


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