मेरी अभिनव मधुशाला
परम सुनहरा दिव्य चमकता, अति अद्भुत मेरा प्याला;
परम सुगंधित अतिशय मादक, अति सुरभित मेरी हाला;
परम रुपायन अति मन भावन, सभ्य लुभावन प्रिय साकी;
परम रूपसी सहज मोहिनी, सुघर सलोनी मधुशाला।
सौरभ सुंदर मॄदुल मनोहर, स्वर्ण वदन मेरा प्याला;
अतिशय भावुकता से सिंचित है, परम मनोरम मधु हाला;
अति बड़भागी जन अनुरागी, घोर तपस्वी साकी है;
सदा सुधाकर चन्द्र वदन प्रिय, अति शुभदा है मधुशाला।
डॉ0 रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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