श्रद्धेया को नित्य नमन कर
आदि शक्ति का सदा भजन कर।
श्रद्धेया को नित्य नमन कर।।
आदि शक्ति माँ सहज शारदा।
ज्ञान शक्ति को सदा ग्रहण कर।।
माँ सरस्वती दिव्य अमृता।
परम शान्त धवल अति सुन्दर।।
महा विनम्र सरस रस धारा।
सकल रसमयी सुधा समन्दर।।
धैर्यधारिणी विज्ञ सुविद्या।
सदा व्योममय धर्मधुरंधर।।
कर्मयोगिनी प्रिय सत्कर्मी।
प्रेमवाहिनी प्रीति निरंतर।।
प्रेम-भक्ति अरु ज्ञान त्रिवेणी।
महा प्रयागराज नित प्रियवर।।
क्षमा करो माँ दया दान दो।
जागे सबमें भाव परस्पर।।
:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें