डॉ0 रामबली मिश्र

हिंदी को ही दिल में रखना।


हिंदी को सम्मानित करना।।


 


सारा काम करो हिंदी में।


हिंदी में ही लिखते रहना।।


 


लिखो कहानी या कविताएँ।


हिंदी में ही रचते रहना।।


 


हिंदी है साहित्य मनोरम।


इसमें ही नित रमते रहना।।


 


हिंदी भाषा सीख बोलना।


हिंदी को ही पढ़ते रहना।।


 


हिंदी संस्कृत की बेटी है।


पालन-पोषण करते रहना।।


 


बहुत सरल प्रिय सहज मधुर है।


जी हिंदी में अति खुश रहना।।


 


वैश्विक भाव प्रधान सरस यह ।


हिंदी रस को पीते रहना।।


 


हिंदी में मानवता रहती।


मानव बनकर जीते रहना।।


 


बहुत लचीली लोचदार यह।


हिंदी सीख प्रेम से रहना।।


 


राष्ट्रवादिनी हिंदी अनुपम।


राष्ट्रगान हिंदी में कहना।।


 


हिंदी से ही राष्ट्र भलाई।


हिंदी की ही सेवा करना।।


 


हिंदी से ही भारत माता।


भारत माँ की रक्षा करना।।


 


डॉ0 रामबली मिश्र हरिहरपुरी 


9838453801


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