वक्त आना शेष है
दर्दनाक है यह समय
जी रहे हैं जिसमें हम सभी
जबकि और भी
दर्दनाक वक्त आना शेष है
वर्तमान का आइना भविष्य का
अपना भयावह
रौद्र- रूप दिखा रहा है
पूर्वाद्ध चरण आना कलिकाल
का तो अभी बहुत दूर बता रहा है
ऐसी विषम परिस्थिति में
दुरुह हो जायेगा जीना
हर सांस में घुल जायेगी अविश्वास, अनास्था और अनैतिकता की ज़हरीली हवा
कत्ल करने दौड़ेगा
भाई, भाई का
दूसरों के दुःख में
सुख ढूंढ़ता फिरेगा मनुष्य
भंग कर दिया जायेगा
कौमार्य सारी रवायतों का
खायी जायेंगी
रक्त से सनी रोटियां
पुत्र ही धारदार
हथियार का निर्माण करेगा
पिता की गर्दन को रेतने के लिए
धर्म और सत्कर्म
की अस्मत लूटी जायेंगी
ठीक मंदिरों के सामने
बच सकेगा मनुष्य
सर्प- दंश से
लेकिन कोई दैवीय शक्ति
ही बचा सकेगी किसी
नर- पिशाच के
रक्तिम नुकीले दंश से
नृशंस हत्या
सरेआम होगी सत्पथियों की
यह वक्त तो आना अभी शेष है
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874
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