मां से बड़ा न कोई जग में
मां से बड़ा न कोई जग में,
स्वार्थ टिके न इनके मग में!
गंगा- जमुना और कावेरी,
तीर्थ छिपे इनके पग पग में।।
मां से बड़ा न कोई जग में।
संघर्षों में बीते जीवन......,
निर्मल गंगा सा मां का मन!
मां ही है, मेरा तन मन धन,
मोती,अनामिका के नग में।।
मां से बड़ा न कोई जग में।
बच्चे को जब दूध पिलाती,
सच में अमृत पान कराती,!
बच्चों संग बच्ची बन जाती,
जैसे डोरी बंधी पतंग में।।
मां से बड़ा न कोई जग में।
दुर्गा प्रसाद नाग
नकहा- खीरी
9839967711
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