एस के कपूर श्री हंस

हिन्दी में भरा रस माधुर्य


कवित्व और मल्हार है।


हिन्दी में भाव और संवेदना


अभिव्यक्ति भी अपार है।।


हिन्दी में ज्ञान और विज्ञान


दर्शन का अद्धभुत समावेश।


हिन्दी भारत का विश्व को


एक अनमोल उपहार है।।


*2।।।।।।।।।।*


बस एक हिन्दी दिवस नहीं


हर दिन हो हिन्दी का दिन।


विज्ञान की भाषा भी हिन्दी


ज्ञान तो है नहीं हिन्दी बिन।।


मातृ भाषा , राज भाषा हिन्दी


है उच्च सम्मान की अधिकारी।


तभी राष्ट्र करेगा सच्ची उन्नति


कार्यभाषा हिंदी हो हर पलछिन।।


*3।।।।।।।।*


मातृ भाषा का दमन नहीं


हमें करना होगा नमन।


पुरातन मूल्य संस्कारों की


ओर करना होगा गमन।।


बनेगी तभी भारत वाटिका


अनुपम अतुल्य अद्धभुत।


जब देश में हर ओर बिखरा   


होगा हिन्दी का चमन।।


*4।।।।।।।*


हिन्दी का सम्मान ही तो


देश का गौरव गान बनेगा।


मातृ भाषा के उच्च पद से


ही राष्ट्र का मान बढेगा।।


हिन्दी तभी बन पायेगी


भारत मस्तक की बिन्दी।


जब राष्ट्र भाषा का ये रंग


हर किसी मन पर चढ़ेगा।।


 


एस के कपूर श्री हंस


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...