एस के कपूर श्री हंस

कभी नीम सी तो कभी


बहुत मीठी है जिंदगी।


मत ज्यादा उलझा कि


बहुत सीधी है जिंदगी।।


सुख दुःख धूप छाँव हर


किसी के जीवन में।


पूछ कर देखोगे हर किसी


की यहीआपबीती है जिंदगी।।


 


मत तमन्ना रख तू कोई


बड़ा ही खुदा बनने की।


बस आरजू हो अच्छे काम


और कुछ जुदा बनने की।।


यह जीवन सफल होगा


इंसान बनने की कोशिश में।


हर पल कोशिश हो बस


इंसानियत पे फिदा बनने की।।


 


जान लो कि एक मन को दूजे


मन से कुछ आशा होती है।


मित्रता व रिश्तों की यही इक


सही परिभाषा होती है।।


बिन कहे ही जान लें हम


दूजे के भीतर की व्यथा को।


हर रिश्ते में ही परस्पर यही


एक अभिलाषा होती है।।


 


जान लीजिए यह जीवन अर्थ


जीवन निर्माण का ही कदम है।


यही मिलकर बनता जाता युग


निर्माण का परम धरम है।।


हम बदलेंगे तो युग बदलेगा


यही एक है सच्चाई।


छिपा इसीमें सत्व युग निर्माण


का यही सच्चा मानव करम है।।


 


एस के कपूर श्री हंस


बरेली।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...