एस के कपूर श्री हंस

क्या खूब किरदार


निभाते हैं लोग कई कई चेहरे


आज लगाते हैं लोग।


 


आज पराई जमीन पर लोग


अपना मकान बनाते हैं।


दूसरे के किरदार से काम


अपना बखूबी चलाते हैं।।


गजब की दुनिया और अजब


अंदाज़ है लोंगों का।


पराई आग में अपनी रोटी लोग


अब खूब पकाते हैं।।


 


कोई करता और नतीजा आज


कोई और भरता है।


लगा कर आग आज तमाशा


भी वही खूब करता है।।


हकदार बन जाता है बस


तमाशबीन दूर का।


कातिल ही आज इंसाफ की


दुहाई धरता है।।


 


अजब सा चलन आज गज़ब


की बनी कहानी है।


जिसकी लाठी उसकी भैंस


यही मनमानी है।।


सच का फैंसला हो रहा है आज


झूठ के हाथों से।


पैसे की आज वाह वाह इस की


आज सब मेहरबानी है।।


 


कहाँ जाकर रुकेगी यह अंधी


दौड़ कह नहीं सकते।


अब और नकाबों और चेहरों का


शगूफा सह नहीं सकते।।


बदलनी होगी सूरते हाल आज


नहीं तो कल को।


कयोंकि बिना तेलबाती के ये सब


चिराग रह नहीं सकते।।


 


एस के कपूर श्री हंस


बरेली।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...