हमारे कर्मों से ही बनता जीवन
पत्थर या सोना है।।
मिट्टी का खिलौना और चंद
सांसों का मेहमान है।
जाने किस बात पर अहम
चढ़ रहा परवान है।।
मालूम है कि यह जीवन
मिलता नहीं बार बार।
क्यों रहता किसी नफरत में
जाने कितना नादान है।।
जीवन सत्य को जानो कड़वा
पर लाजवाब है।
हज़ारों मुश्किलें पर ये जीवन
बहुत नायाब है।।
जान लो कि सत्य परेशान हो
सकता पराजित नहीं।
कठोर है अनमोल है नहीं इस
जीवन का कोई जवाब है।।
मिट्टी से बना तन एक दिन
तो फना होना है।
मायने जीवन के ही कुछ पाना
और कुछ खोना है।।
दुःख का दस्तावेज और है यह
सुख का संसार भी।
हमारे कर्मों से ही बन जाता
यह पत्थर या सोना है।।
एस के कपूर श्री हंस
बरेली।
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