एस के कपूर श्री हंस

धन नहीं रिश्तों


की पूंजी अनमोल होती है।


 


पैसा ही उनकी हर चाल


पैसे से उनकी हर बात है।


कुछ लोग हैं जिनके लिए


पैसा ही हर सौगात है।।


पैसे से ही आँकते हैं वह


हर आदमी की औकात।


पैसा ही मानो उनके लिए


जैसे हर जज्बात है।।


 


जानते नहीं सुंदर व्यक्तित्व


की पूंजी बेमोल अमूल्य है।


इंसानियत को पहचानो कि


कीमत इसकी अनमोल है।।


प्यार देने और बाँटने से ही


मिलती है प्रतिष्ठा और प्रेम।


देखेंगें बदले में प्यार इज़्ज़त


फिर मिलती निःमूल्य है।।


 


जान लो एक सच्चा रिश्ता


बहुत अनमोल होता है।


होता इसमें केवल निस्वार्थ


प्यार नहीं झोल होता है।।


जान लो प्यार कहीं किसी


बाजार में बिकता है नहीं।


यही सत्य है सच्चा रिश्ता


समय पर नहीं गोल होता है।।


 


सच्चे रिश्ते की कदर और


पहचान वक़्त पर होती है।


मित्रता की असली परीक्षा


समय सख्त पर होती है।।


अपनापन तो दिल से दिल


का अदृश्य होता है मिलन।


कहना गलत होगा कि रिश्तों


की डोर संबंधरक्त से होती है।।


 


एस के कपूर श्री हंस


बरेली।


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