कालिका प्रसाद सेमवाल

जाग भी जाओ


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भोर हुई है जाग भी जाओ।


कर्म राह मिल कदम बढ़ाओ।


 


पंछी नव धुन गीत गा रहे।


उप वन स्वर तंरग छाय रहे।


तरुवर उतरी स्वर्ण रश्मियाँ,स्वागत मंगल साज सजाओ।


भोर हुई....।


 


मस्ती में बह रही मंद पवन ।


भौंरे भी करते हैं गुन गुन।


विधि ने रच दी सुन्दर काया,


दिनकर पूजन थाल सजाओ।


भोर हुई....


 


हरियाली उपवन में छाई।


खिले फूल कलियाँ मुस्काई।


मस्त प्रसूनन की खूशबू से,


दिशा सभी अब तुम महकाओ।


भोर हुई....।


 


 


किसलय झूल रहे डालों पर।


वसुधा हरषी सुधा बिंदु धर।


कठिन परिश्रम के बल पर तुम, 


धरती पर मिल स्वर्ग बनाओ।


भोर हुई....।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


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