कालिका प्रसाद सेमवाल

संस्कृति की पोषक होती है बेटियां


★★★★★★★★★★


हिमालय की चोटियां होती है बेटियां,


प्रेरणा की मूरत होती है बेटियां,


शहद सी मिठास जैसी होती है बेटियां,


पतित पावनी गंगा सी होती है बेटियां।


 


मां बाप की दुलारी होती बेटियां,


भोर की किरण होती है बेटियां,


बासन्ती बयार जैसी होती है बेटियां,


जीवन की व्याख्या होती है बेटियां।


 


दो परिवारो की लाडली होती बेटियां,


धर्म, न्याय की रक्षक होती है बेटियां,


प्रातःकाल की प्रार्थना होती है बेटियां,


संकट में राह बताती है बेटियां।


 


त्याग-तप की खान होती बेटियां,


कुल का गौरब होती है बेटियां,


बेटे से ज्यादा जिम्मेदार होती बेटियां,


अपनी कक्षा में प्रथम आती है बेटियां।


 


वैदिक ऋचाएं जैसी होती है बेटियां,


गुरु ग्रंथ की वाणी जैसी होती बेटियां,


भोर की शीतल हवा होती है बेटियां,


दक्षता का दीप होती है बेटियां।


 


जन्नत का नूर होती है बेटियां,


सबका ध्यान रखती है बेटियां,


ईश्वर की विलक्षण रचना है बेटियां,


परिवार की रौनक होती है बेटियां।


 


बेटा बेटी में न करो कोई भेद भाव,


दोनों को दे बराबर का प्यार,


आओ करें बेटियों का संरक्षण,


दे इनको महत्व और अभिरक्षण।।


★★★★★★★★★★


कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...