तुम्हें गीत गाकर कहाँ तक भुँलाऊँ
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अधूरे मिलन की अधूरी कहानी,
मुझे छल रही हो मगर जी रहा हूँ।
न जाने ये कैसे जहर पी रही हो,
लिखूँ गीत कैसे प्रणय अधूरा।
पढूँ गीत कैसे मिलन जब न पूरा,
यहाँ पर पिपासित पड़ी जिन्दगानी।
कहाँ तक लिखू मैं अधूरी कहानी,
यही बात होगी कि तुम बोल दोगी।
पड़ेगी कही जिन्दगी जब अधोगी,
बिखरते सपन हैं बिखरती जवानी।
न तुम जानती हो न मैं जानता हूँ,
न तुम मानती हो न मैं मानता हूँ।
जरा देखना है कहाँ गीत ढलते,
जरा लेखना है कहाँ दीप जलते।
प्रणय की शिखा पर नयन को जलाऊँ,
तुम्हें गीत गाकर कहाँ तक भुलाऊँ।
विवश सोचता हूँ विवस रो रहा हूँ,
विवश जिन्दगानी प्रिये !ढो रहा हूँ।
मिटी जा रही है हृदय की रवानी,
क्या यही है हमारी कहानी।
तुम्हें कह रहा था, जरा पास आओ,
मिलन की लगन में प्रिये, मुस्कराओ।
न हम रह सकेंगे न तुम मिल सकोगी,
प्रणय की भिखारिन, कहाँ तक भगोगी।
प्रिये, आज मिलना असम्भवबना है,
बिछुड़ना बहुत प्राण, सम्भव बना है।
दुखों की कहानी न तुम जानती हो,
निठुर हो कहाँ कब मुझे मानती हो।
कहाँ आज मेरी ये जीवन निशानी,
मुझे याद तुम्हारी बहुत सता रही है।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजर
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
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