कालिका प्रसाद सेमवाल

न आओ अकेली न जाओ अकेली


 


प्रणय की पुजारिन, निवेदन है तुमसे,


न आओ अकेली, न जाओ अकेली।


यहाँ तो गगन के सितारे न आते,


यहां सच अभागे दुलारे न जाते,


यहां गीत के हर सपन पर प्रिये,


जिन्दगी के सपन भी सँवारे न जाते,


यहाँ विश्व छलता छलेगा, प्रिये,


हर कदम पर न रुठो, न जाओ नवेली।


 


अगम पथ मेरा सुगम पथ तेरा,


न छोड़ो सुहागिन ये जीवन अँधेरा,


सपन जा रहे हैं कि तुम जा रही हो,


बहुत दूर मंजिल कि जीवन सबेरा,


यहां जिन्दगी भी प्रिय , मौत होगी,


न छोड़ो विरह-सिन्धु-तट पर सहेली।


 


अरे , जिन्दगी में तुम्हें आज छोडूँ,


तुम्ही अब बताओ कहाँ राह मोडूँ,


मुझे हर कदम पर अँधेरा है दिखता,


सुहागिन बताओ कहाँ नेह जोडूँ,


मुझे शून्य लगते दिशा के किनारे,


अभी, शून्य मेरी हृदय की हवेली।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड


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