हिन्दी का गुणगान करे
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आओ भारत के हित में
हिन्दी भाषा को अपनाते है,
सब रसो से भरी हुई है
आओ हिन्दी का गुणगान करे।
भारत की संस्कृति है इसमें
संस्कारों से भरी है हिन्दी,
तुलसी की मानस ने सब को
भक्ति भाव से परिपूरित किया।
कबीर सूर मीरा जयसी
हिन्दी के ये सब सन्त हुए,
सभी बडें बडें रचना कारो ने
सबने हिन्दी को अपनाया है।
हिन्दी हमारी मातृ भाषा है
हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है,
हिन्दी हमारी राज भाषा है
हिन्दी भारतीयों की भाषा है।
हिन्दी के हम बने उपासक
हिन्दी अपनी भाषा है,
हिन्दी से अपना पन लगता है
हिन्दी से सुरभित हो हर पल।
भारत मां की माथे की बिन्दी
तुम तो बडी ही महान हो,
हिन्दी भाषा सहज सरल है
हे हिन्दी तुम्हें बार -बार प्रणाम।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
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