कालिका प्रसाद सेमवाल

अभी गीत की पक्तियां शेष हैं


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अभी उम्र बाकी बहुत है प्रिये!


तुम न रुठो, अभी ज्योति मेरे नयन में।


 


इधर कल्पनाओं के सपन हम सजाते,


उधर भाव तेरे मुझे है बुलाते,


यहाँ, प्राण !मेरी नैया रुकेगी,


बहुत बात होगी न पलकें झुकेगी,


अभी राह मेरी न रोको सुहानी,


तुम्हीं रुठती हो, नहीं यह जवानी।


 


अभी गीत की पक्तियां शेष है!


रागनी की मधुर तान मेरे बयन में।


 


हँसी में न रुठो, हँसी में न जाओ,


विकल आज मानस न मन को रुलाओ,


कहीं तुम न बोलो, कहीं मै न बोलूँ,


कही तुम न जाओ, कहीं मैं न डोलूँ,


तुम्हीं रुपसी हो, तुम्हीं उर्वशी हो,


तुम्हीं तारिका हो,तुम्हीं तो शशी हो।


 


तुम्हें पूजता हूंँ लगाकर हृदय से!


तुम्हीं रश्मि की ज्योति मानस गगन में।


 


तुम्हें भूलना प्राण !संभव नहीं हैं,


तुम्हें पूजना अब असम्भव नहीं है,


प्रिये! तुम नहीं जिन्दगी रुठती है,


कलम रुक रही , कल्पना टूटती है,


न रुठो प्रिये! यह कसम है हमारी,


पुनः है बुलाती नयन की खुमारी।


 


सजनि ,पास आओ हँसो मन-मरोड़ो,


सभी साधना-तृप्ति तेरे नमन में।।


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कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखंड


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