मनीष मिश्रा हिंदी दिवस 

विचारक


 


हिन्दी दिवस पर विचारक मनीष मिश्र ने हिंदी पर प्रकाश डालते हुए कहा ,कि हिंदी जो कि भारत अधिकतम भू भाग में अपने को मजबूत कर चुकी है विदेशी लोग भी हिन्दी को अपनाने में उत्सुकता व्यक्त करते है ,क्योंकि यह एक ऐसी भाषा है जो आधे अक्षर में आधा मिलाकर पूर्ण कर देती है, हिंदी सहज सरल मृदुभाषी तो है ही साथ ही हिंदी शक्ति है रूप में ,ममत्व के रूप में, करुण के रूप, प्रेम के रूप बखूबी भाव संजोए हुए है, 1850 भारतेंदु युग से हिंदी खड़ी बोली का स्वर्णकाल प्रारम्भ हुआ,इसके पहले हिन्दी चूँकि संस्कृत से निकली है इसलिए यह क्लिष्ट थी, आज भारत ही नही अपितु देश के बाहर भी हिंदी बोलने वालो का अपना अलग ही व्यक्तित्व व स्थान है , सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र संघ में देश के तत्कालीन विदेशमंत्री व बाद में देश के प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपाई जी ने हिंदी में अभिभाषण दिया, हिंदी के अक्षर आपकी मुख शैली को से पता चल जाते है कि आप किस अक्षर का उच्चारण कर रहे, होष्ठ ,दन्त्य,तालु, कंठ आदि से अलग अलग अक्षरों का उत्सर्जन होता है , हिन्दी सामान्य तरीके से समझी जा सकती है यू तो हिन्दी के क्षेत्रीय कई रूप है पर खड़ी बोली की बात ही अलग है , यदि भारत को ठीक से समझना है तो हिंदी को जानना ही होगा ,अनेको आंदोलनों संघर्षो के बाद,हिंदी ने सहज स्वकृति प्राप्त की और राजा भाषा के रूप में स्थापित हुई, पर देश एक बड़ी विडंबना है देश की सर्वोच्च परीक्षा upssc में हिंदी विद्यार्थियों को पर्याप्त महत्व नही मिलती ही , पिछले कुछ दशकों के परिणाम जो आये है उसमें हिंदी विद्यार्थी को वो परिणाम नही प्राप्त हुए अपेक्षाकृत अंग्रेजी में, उत्तर प्रदेश में हिंदी में सबसे अधिक अंक लाने वाले को सरकार की तरफ से 25000 से 35000 हजार तक का नगद पुरुष्कार दिया जाता है, फिर भी इतनी महत्वपूर्ण व्यवस्था को संचालित करने के लिए यूपी एस सी में हिन्दी विद्यार्थियों की उपेक्षा क्यो की जाती है ,सरकार को इसपर भी विचार करना चाहिए , तभी हम सही मायने में हिन्दी दिवस को मना पाएंगे,


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