अबला नहीं तू शक्ति है
खुद में तू हस्ती है।
वक्त बदल डाले नया इतिहास
रच डाले साहस की सबला
हिम्मत हौसला तू नारी है।।
जो कुछ भी चाहे हासिल करना
कर डाले तू वीणा पाणी है शौम्य,
विनम्रता ,भाषी परिभाषी हैं तू नारी है।।
क्रोध की ज्वाला में काली दुर्गा
रण चंडी है।
पर्वत की तू बाला तू हाला
मधुशाला मादकता का मर्म
नारी हो।।
कली ,फूल ,खुशियाँ ,खुशबू
अवनि अवतारी हो ,अवतारों
की धारी हो नारी हो।।
भोली ,नाज़ुक ,नादाँ ,कमसिन
कोमल नूतन कली किसलय
ममता की दरिया सागर हो तुम नारी हो।।
घृणा ,क्रोध ,में काल कराल
संघारी हो तुम नारी हो
देवोँ की ताकत आधी युग
ब्रह्माण्ड सृष्टि की बुनियादी तुम
नारी हो।।
महिमा और महत्व हो गरिमा
गौरव समाज का सत्य हो
नर की जननी भरणी तरणि तुम
नारी हो।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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