नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

 जब जब अत्याचार का


क्रूर दामन करता खुनी


खेल ।


निरंकुश हो जाता करता


अंह का अट्टहास।।


 


तब निरीह नर में नारायण 


आता खुद जगाने विश्वाश।।


 


धरती पर रखता जब पाँव


स्वागत में पुलकित होती


माता ,कोख पर करती अभिमान।।


 


विरले पल प्रहर आते जब 


माताये भगत सिंह जनती 


समय काल भी अभिमान से


बतलाता धरती के वीर सपूतों


से अपना नाता।।


 


वर्तमान इतराता भविष्य अपने


दामन में वतर्मान की सौगात 


समेटे जाता।।


 


भगत भाव है स्वतंत्रता की


चिंगारी ,अंगार।।


भगत सिंह कराहती तलासती


आँखों की रौशनी उजियार।।


 


भगत युवा चेतना का हुंकार हनक


शंख नाद।


भगत सोच भगत त्याग बलिदान


मर्म ज्ञान का बैराग्य।।


 


रोज भगत सिंह नहीं पैदा होता


परम् शक्ति सत्ता का पराक्रम


प्रतिनिधि युग चेतना पुकार की


संतान ।।


 


मकसद का जीवन मकसद


पर कुर्बान।


सरफरोसि विचार क्रांति 


शंख नाद जोर कातिलों के बाजुओं का सर्वनाश के


आवाहन आवाज़।।


 


दुष्ट ,दमन कारी ,अत्याचारी


अन्याय का प्रबल प्रतिकार


निडर, निर्भीक साहस की


चुनौती का भयमुक्त भगत


नौजवान।।


 


धरती माँ की संतान धरती


के कण कण का रौशन चिराग


भगत धीर ,वीर, धैर्य ,धन्य वर्तमान युवा प्रेरणा महिमा गौरव गान।।


 


जीवन के कुछ वसंत ,सावन 


ही युगों युगों के जीवन का


सार ।।


 


वीरों की गाथा इबारत का


जाबांज भगत।


शौर्य सूर्य की चमक छितिज


का युवा उत्सव उल्लास की


शान।।


################


बेटी है दुनियां का नाज


बेटी करती हर काज आज


बेटी अरमानों का अवनि


आकाश।।


 


शिक्षित बेटी नैतिक समाज


बेटी संरक्षण संरक्षित समाज


बेटी बुढापे का सहारा


बेटी माँ बाप के लिये 


ज्यादा संवेदन साज।।


 


बेटी बेटा एक सामान 


बेटी गर कोख में मारी


जाती दांवन दरिद्रता 


दुःख क्लेश का आवाहन


साम्राज्।।


 


बेटी लक्ष्मी है बेटी है


वरदान


 


लिंग भेद का पतन पतित


समाज।


बढती बेटी बढ़ाता गौरव मान


बेटी का सम्मान सशक्त राष्ट


समाज की बुनियाद।।


 


बेटी गुण ज्ञान धन धान्य


की पहचान खान


बेटी से मर्यादा का मान


बेटी निश्चिन्त निर्भय विकास


न्याय का पर्याय।।


 


बेटी नगर हाट चौराहे पर


दानवता का गर हुई शिकार


पीढ़ी का घुट घुट कर प्राश्चित 


 दमघुटता शर्मशार समाज।।


 


बेटी प्यारी न्यारी 


जीवन का आभार


बेटी का रीती ,निति राजनीती


ध्यान, ज्ञान ,बैराग्य ,विज्ञानं


यत्र तंत्र सर्वत्र अधिकार।।


 


बेटी गौरव गूँज गर्जना


बेटी स्वर ,संगीत ,व्यंजना


बेटी अक्षय ,अक्षुण, पुण्य ,कर्म


बेटी संस्कृति संस्कार।।


 


बेटी का ना तिरस्कार 


बेटी संग ना भेद भाव


बेटी शिवा शिवाला ईश्वर


रचना की बाला बला नहीं


सृष्टि की ज्योति ज्वाला।।


 


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 वर्षा ऋतु प्यारी न्यारी 


जिंदगी का एहसास जगावे।।


 


कभी बचपन के अठखेली


कागज़ की कश्ती बारिश 


का पानी बालपन वर्षा का


आनन्द बतावे।।


 


सावन की वर्षा मन हर्षा


जवां प्यार की बहार 


रिम झिम फुहार प्यार का


खुमार ह्रदय भाव से पानी पानी।।


सावन की घटाओं में ख्वाबों की


अदाओ अदा बहार आरजू आसमान अंतर्मन पाये।।


 


वर्षा ऋतु में सावन के सुहाने मौसम में चाँद बादलो के आगोश में इश्क इज़हार की प्यास प्यार में दिल पानी पानी कशिश काश की


प्यास बुझाये।।


 


सावन वर्षा मन हर्षा वो आएगी


मन भायेगी भीगा बदन गालो पे सावन की बुँदे शबनम।          


 


नादां इश्क का जज्बा जूनून जोश जश्न का हाल प्याला मधुशाला का रस मकरंद बतायेगी।।


 


उमड़ घुमण वर्षा के बादल 


मन भबराये जीया तरसाये


कभी घनघोर कभी आये


जायें।।


 


वर्षा ऋतु शुख दुःख दोनों आश


विश्वाश धरती की प्यास बुझायें


सुखी धरती के दामन को ऊसर


बंजर से बचाये।।


 


वर्षा ऋतू प्यारी चुहू ओर


हरियाली अँधा भी हरियाली


खुशहाली का राग सुनाये।।


 


वर्षा ऋतु तीज त्योहारों का


अलख जगाये कृष्ण जन्म


युग दृष्ट्री का देव आयें।।


 


रक्षाबंधन स्वतंत्र राष्ट्र का


वन्दे मातरम् जन गण मंगल


दयाक जय हो गाये।।


 


वर्षा ऋतु प्रकृति प्राण की


बुनियाद इश्क मोहब्बत प्यार


यार का इंतज़ार का अवसर


ऋतु ख़ास गीत गाये।।


 


वर्षा ऋतु हरियाली तीज सावन का झूला सखियो का मेला राधा और कान्हा मधुबन का रास रचावे।।


वर्षा ऋतु का बचपन वर्षा का युवा यौवन पहली कर्षा पहला


सावन गोरी छोरी की मादकता


मस्ती मौसम आये।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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