महामारी के दहसत खौफ
मर जाता इंसान
गर इलाज़ मिल जायें
जिंदगी हो जाती आसान।।
बेरोजगारी महामारी पर
भारी घुट घुट कर तड़फ
तड़फ कर मरता इंसान
बेवस लाचार इधर उधर
मारता हाथ पाँव।।
माँ बाप ने जाने कितने
अरमानों से अपने लाडलों
का लालन पालन पोषण
किया पढ़ाया और लिखाया।
अपने मेहनत श्रम ,कर्म ,धर्म
से कर्तव्य दायित्व निभाया।।
पढ लिख कर इधर उधर
घूम रहा नौजवान रोजी
रोटी रोजगार की तलाश में।
रोजगार के अवसर समाप्त
सरकार भी परेशान क्या करे
उपाय ।।
शिक्षा परीक्षा पद्धति की
परम्परा का करे पुनर्निर्माण
या सृजन करे रोजगार ।
काम मिलता ही नहीं सोच
समझ नहीं पाता बेरोजगार
नौजवान करे क्या?
अवसर उपलब्धि का करे
स्वयं निर्माण धन का कहाँ
से करे जुगाड़।
मन मस्तिष्क पर बोझ लिए
आत्म हत्या को करता अंगीकार
कभी कही हत्या और लूट के
आपराध को ही कर लेता साथ।।
सामजिक विकृतियों को अपनाकर दहसत दंश का
बेताज बादशाह।।
ऐसा मार्ग चुनता राष्ट्र समाज
हो जाता परेशान खुद एक
महामारी का बन जाता पर्याय।।
डिग्री के बोझ के निचे दब जाता
संस्कृति संस्काए
जन संख्या संसाधन
की भयावह यह मार।
सिमित संसाधन पर बोझ
असीमित क्या है कोई निदान।।
पद एक प्रत्याशी अनेक चयन प्रणाली की प्रक्रिया में दोष अनेक
हर प्रक्रिया में न्याय न्यायालय
का हस्तक्षेप।।
नौकरी की चयन
प्रकिया में वर्षो का घाल मेल।।
कितने ही नवजवान काल
कलवित हो जाते चयन तो
पा जाते जीवन से मुक्त हो
चैन ही पा जाते।।
विडम्बना और भयंकर जो
भी जन जिम्मेदार देने को
रोजी रोजगार।
आकंठ भ्रष्ट
भ्रष्टाचार के प्रतिनिधि
अपने ही बच्चे नौजवान
को अंधेरों में धकेलते जाते
बारम्बार।।
चाहे स्व रोजगार हो या
सरकारी नौकरी हर जगह
अफरा तफरी ।।
लोक तंत्र
के महाकुम्भ में बेरोजगारी
मुद्दा होता शासन में आते
ही रोजगार का हाल खस्ता
होता।।
रोजी और रोजगार समाज
नौजवान राष्ट्र की चुनौती
हर नौजवान राष्ट्र का
कीमती हीरा मोती।।
नौजवान के सपनो के
सौदागर जागो
बहुत हुआ वादा कोशिश
जिम्मेदारी से मत भागो।।
नौजवान को काम दाम
और दो नेवाला।
मुफ़्त मुफ़्त मुफ़्त से कर्मबीर
भारत के नौजवान को कायर
असहाय परपोषी का नशा
अफीम बंद करो ना होने दो
हताश निराश का बवाला।।
नौजवान के जज्बे का सृजन
सम्मान करों भारत के योग्य उत्तम
सर्वोत्तम उत्कृष्ट नौजवान के
भारत का निर्माण करों।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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