चलो आज हम राम बताएं
राम मर्यादा अपनाएँ।।
राम रिश्ता मानवता की
अलख जगाएं।।
प्रभु राम का समाज बनाएं
मात पिता की आज्ञा सेवा
स्वयं सिद्ध का राम बनाएं।।
भाई भाई के अंतर मन का
मैल मिटाए।
भाई भाई में बैर नहीं भाई
भाई को भारत का भरत बनाएं।।
लोभ ,क्रोध का त्याग करे समरस
सम्मत समाज बनाएं।।
सम्मत सनमत बैभव राम नियत
का दीप जलाए।।
कर्म धर्म श्रम शक्ति निष्ठां
धन चरित पाएं।।
पावन सरयू की धाराएं
कलरव करती जन्म जीवन
का अर्थ सुनाएँ।।
भव सागर का स्वर्ग नर्क
केवट खेवनहार बनाये
भेद भाव रहित राम भव
सागर पार कराएं।।
निर्विकार निराकार राम
सबमें साकार राम बोध
प्राणी प्राण का दर्शन पाएं।।
राम नाम नहीं राम मौलिक
मानवता सिद्धान्त राम रहित
जीवन बेकार।
सांसो धड़कन पल प्रहर में
राम बसाएं।।
राम बन वास का रहस्य
जल ,वन ,जीवन का राम
दैत्य ,दानव से भयमुक्त
धर्म ,दया ,दान ऋषिकुल
बैराग्य विज्ञान का राम।।
सेवक राम यत्र तंत्र सर्वत्र राम
राम से बिमुख ना जाए ।।
चलो आज हम राम बताएं
राम मर्यादा का युग अपनाएं।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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