नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

हिंदी माथे की बिंदिया 


हिंदी हिंदुस्तान है।


इसे दमकने और चमकने दो।।


क्यों कहते मेरे प्यारे देश को


इंडिया ।


हिंदी देश की शान है हिंदी


हिंदुस्तान है ,हिंदी माथे की बिंदिया इसे दमकने 


और चमकने दो।।


हिंदी भारत की प्राण है


हिंदी एकता की जान है 


हिंदी हिंदुस्तान है 


हिंदी हिन्द की शान है


हिंदी माथे की बिंदिया इसे


चमकने और निखरने दो।।


हिंदी सुबह और शाम


दिन और रात सूरज की गर्मी


चाँद की शीतल


छाया की साया बनने दो


हिंदी हिंदुस्तान है ,हिंदी माथे की


बिंदियाँ इसे चमकने


और निखरने दो।।


गुड बाय और टाटा छोड़ो


हिंदी नमस्कार प्रणाम है


हिंदी बैभव विकास मर्यादा


का मान है।


हिंदी हिंदुस्तान है 


हिंदी माथे की बिंदियां


इसे दमकने और चमकने दो।।


हिंदी आत्म भाव है


हिंदी संस्कृत संस्कार है


हिंदी पूरब पक्षिम उत्तर दखिन का भेद मिटाती स्वतंत्र राष्ट्र पहचान है।


हिंदी हिंदुस्तान है ।


हिंदी माथे की बिंदिया इसे दमकने


और चमकने दो।। हिंदी प्रेम सरोवर


हिंदी गागर में सागर


हिंदी दिनकर हिंदी जय शंकर


हिंदी नीर निराला 


महादेवी की महिमा गान है।


हिंदी हिन्दुस्तान है ।


हिंदी माथे की बिंदियाँ 


इसे दमकने और चमकने दो।।


हिंदी मीरा की भक्ति 


हिंदी रस की रस खान है


कबीर की सूफी बानी


दोहा रहीम की बान है


हिंदी हिंदुस्तान है


हिंदी माथे की बिंदियां


इसे दमकने और चमकने दो।।


हिंदी की मधुशाला है


वीरों की हाला प्याला है


हिंदी हिंदुस्तान है 


हिंदी माथे की बिंदियाँ इसे


दमकने और चमकाने दो।। हिंदी भाषा है हिंदी आशा हिंदी अटल विश्वाश है हिंदी अवनि


अम्बर है ।


हिंदी आचरण मूल्यों का सम्मान 


है ,हिंदी वंदे मातरम् हिंदी जन गण मन गान है ।


हिंदी हिंदुस्तान है 


हिंदी माथे की बिंदियाँ इसे चमकने और दमकने दो।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...