स्नेह बंधन
रिश्तों के स्नेह बन्धन जीवन को पार लगातें है
हो जाती है राह सरल जब अपने साथ निभातें है
होती हैं जब कठिनाई तो स्नेह अपनो के याद आतें है
जीवन की तस्वीर प्यार में स्नेह बन्धन समझातें हैं।
ईश्वर ने जो दिए हैं रिश्ते उनका बन्धन मजबूत बड़ा
हो जाये चाहे कोई गलती हरपल राह दिखातें हैं।
ये तेरा है ये मेरा है मन पर मैल चढ़ाता है
राग द्वेष का भाव तजो तुम स्नेह बन्धन सिखलातें हैं।
माँ का त्याग सदा श्रेष्ठ है चाह नहीं कुछ भी रखता है
स्नेह समुंदर भावों कें माँ की आँखों में दिख जातें हैं ।
पिता वट वृक्ष जीवन के छाँव सदा ही देतें हैं
तपते स्वयं सर्दी गर्मी में स्नेह बन्धन में बंध जातें हैं
भाई बहन का स्नेह बन्धन रिश्तों को महकातें है
राक्षबन्धन हो या भाई दूज करीब दोनों को लातें हैं ।
मित्रता के रिश्तें सबसे न्यारे कुछ भी चाह नहीं रखते
हर पल रहतें खडे साथ,स्नेह बन्ध साथ निभातें है ।
निशा अतुल्य
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