मिल सब योग करो
तन मन स्वस्थ रखो
मिलकर मुहिम ये
सब ही चलाइए।
करे साँस प्रश्वास जो
नाड़ी शुद्ध उसकी हो
कपालभाति कर के
स्वास्थ्य सब पाइए।
आसन भुजंग करो
पीठ दर्द दूर करो
मेरुदंड होए स्वस्थ
लचीले हो जाइए।
भ्रामरी क्रिया महान
एकाग्रता देती दान
अनुलोम विलोम से
ओज मुख लाइए।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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