निशा अतुल्य

ये प्यार का जहान


है बड़ा ही महान


सहे सदा जग मार 


कुछ नहीं जीत हार।


 


बोलो क्या अब हाल


सुधरी नही न चाल


कर्मों की गति मान


बस ये जीवन जान ।


 


क्या है जीवन सार 


इसे मत समझ भार


रो नहीं जार जार 


होएगा भव पार ।


 


इसे समझों न खार


है ये जीवन सार


मन पर रहे न भार


सरल रखें व्यवहार ।


 


निशा अतुल्य


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