हंसी एक, रामबाण औषधि है
सुख दुःख तो,जीवन का अभिन्न अंग है
तू तो सब प्राणियों में है, श्रेष्ठ
हंसता चल, हंसाता चल
लुटाता चल, हंसी के पल
देव देव तो, आलसी पुकारे
तू पाया है, सुर दुर्लभ मानुष तन
मन को रख,तू प्रसन्न और
खुलकर हंस, खुलकर हंस
हंसी तो एक, रामबाण औषधि है
लहराता है, खुशियों से आंचल
जिसके पास है,हंसी का खजाना
सच कहता हूं मै,उसका नजराना है
नाचता है,मन मयूरी आंनद में
झूम झूम जाता हैं, मूड मस्ती में
फिर देर किस बात की है, प्यारे
हंसता चल, हंसाता चल
हंसी तो एक,रामबाण औषधि है
लहराता है,खुशियों से आंचल
उल्लास और उमंगों में
मन और मस्तिष्क,हिलोरे लेने लगता है
विधुत तरंगों सी,ऊर्जा प्रवाहित होती हैं
जब मानव खुलकर, हंसता है
दुल्हन सी संवरती है, जिंदगी
हंसता चल, हंसाता चल
हंसी तो एक, रामबाण औषधि है
लहराता है, खुशियों से आंचल
बेहद सहज और सरल है
संकट को भी हंसकर, टाल दीजिये
जितना लुटाया है,हंसी के पल को
उतना ही मिला है,जीवन में आंनद
नश्वर को स्वर, मिलता है
मिलता है,मनुष्य को परमेश्वर का सम्बल
हंसता चल, हंसाता चल
हंसी तो एक, रामबाण औषधि है
लहराता है, खुशियों से आंचल
नूतन लाल साहू
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