गांव मोर पहचान
माटी माटी के रहय,घर कुरिया
नानकुन परछी म बंधाये
बछरू अऊ गरुवा
कांख कांख के,चुलहा फुकई
माटी के रहय,बरतन भड़वा
अइसन रहय,मोर गांव के पहिचान
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
बऊसला म छोल छोल के
ददा ह बनावय,गिल्ली भौरा
लइकापन के सुरता ह अाथे
गली म खेलन, बाटी भौरा
अडबड़ मजा आवय संगी
जब भन्नाटी, मारय भौरा
अइसन रहय,मोर गांव के पहिचान
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
बड़ सुग्घर लागय, मोर गांव
गांव के नरवा तरिया म, जलरंग पानी
जंगल रुख राई रहय, ठाव ठाव
पैलगी जोहार सबो,बतियाय
कऊवा ह करय, कांव कांव
परेम दया, सब बर
भाई चारा के रहय, भाव
अइसन रहय,मोर गांव के पहिचान
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
बड़ सुग्घर लागय, मोर गांव
नाचा गम्मत होवय, रात भर
जुरमिल मनावय,तिहार मड़ई मेला
सुरता नइ बिसरावय, एको कन
चेंव चैंव नरियावत रहय, रहचुली ह
सांझ के बेरा, पुरवाही चलय सुरूर सुरूर
डोलत रहय,बर पीपर के पाना ह
अइसन रहय,मोर गांव के पहिचान
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
बड़ सुग्घर लागय,मोर गांव
नूतन लाल साहू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें