नूतन लाल साहू

वर्षा ऋतु प्यारी


 


न तो छियालिस डिग्री गर्मी


न तो कपकपाती ठंड


वर्षा ऋतु, सबसे प्यारा लगता है


काला बादल,छलके सागर


झमाझम बरसता है,पानी


झुम झुम कर,मोरनी नांचे


कोयली गीत सुनाती हैं


न तो छियालिस डिग्री गर्मी


न तो कपकपाती ठंड


वर्षा ऋतु, सबसे प्यारा लगता है


जब छलकता है, नरवा नदिया


तब लहराता है, गंगा मैया


पुरवाही चलती है,प्यारी प्यारी


हरियर हरियर धरती माता,सुंदर लगती हैं


न तो छियालिस डिग्री गर्मी


न तो कपकपाती ठंड


वर्षा ऋतु, सबसे प्यारा लगता है


हरा हरा श्रृंगार कर,धरती मां


सबके मन को,हर्षाती है


जब कड़कती है बिजली,तब बादल गरजता है


बरसते हुए पानी में,मौसम सुहाना लगता हैं


न तो छियालिस डिग्री गर्मी


न तो कपकपाती ठंड


वर्षा ऋतु, सबसे प्यारा लगता है


प्रफुल्लित होती हैं,तितलियां


भौरे गुनगुनाता है


पेड़ पौधे,हर्षाती है


कलिया, फुल बन मुस्कुराता है


न तो छियालिस डिग्री गर्मी


न तो कपकपाती ठंड


वर्षा ऋतु, सबसे प्यारा लगता है


नूतन लाल साहू


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