शब्द
शब्द से गुंजती है, धरा और आकाश
शब्द में बसते है,प्रभु पाद
शब्द की यात्रा है, अनंत
शब्द का होता नहीं है,कभी अंत
शब्द ही है,पूजन भजन
शब्द ही है,मन की उमंग
शब्द है,सागर की तरंगे
आओ मिलकर करे,शब्द सुमनो को नमन
शब्द है रामायण,शब्द है गीता
शब्द है, वेद शास्त्र पुराण
शब्द ही है,वैदिक ऋचाएं
शब्द शक्ति है,सबसे प्रबल
शब्द नहीं होता तो, लय नहीं होता
शब्द से ही सृष्टि का है,नियतक्रम
आओ हम मिलकर करे, शब्द सुमनो को नमन
शब्द है तभी तो,कवि लेखक रचनाकार हैं
शब्द है तभी तो,साहित्य का है भंडार
शब्द है तो, ताल और शब्द है
शब्द ही तो,उस प्रभु का नाद है
शब्द नहीं होता तो,हम इंसान नहीं होते
कल्पना के पंख, अंबर में उड़ रही है,शब्द बनकर
आओ हम मिलकर करे, शब्द सुमनो को नमन
हमारे दिल की धड़कन भी,शब्द ही है
सिक्के पर भी अंकित है,शब्द के भाव
उछलता है,शब्द के ही सिक्के
खनकता भी है,शब्द के ही सिक्के
शब्द ही है,चिंतन मनन
शब्द में ही सुख समाहित,शब्द ही दुःख का है,भंडार
आओ हम मिलकर करे,शब्द सुमनो को नमन
नूतन लाल साहू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें