नूतन लाल साहू

मां गायत्री की जय


 


अंतस के ज्योति ला जला दे मइया


दे दे सदबुद्धी के भंडार


घोर तप, नइ कर सकन अब


पाप ताप संताप ला मिटा दे


मन हे मितवा,मन हे दुश्मन


जीवन म घपटे, अंधियारी दिखत हे


सबके मन निर्मल हो


अइसन वरदान दे दे


हंसा में होके संवार,हाथ में कमंडल धर


आ जाओ गायत्री माता,हमर घर आंगन


ब्रम्हा विष्णु महेश तीनों देवता


गाईन तोरेच महिमा


वेद मंत्र,सन्मार्ग के हे दुआर


ज्ञान कर्म अउ भक्ति जगा दे


तोर मंत्र म, अडबड़ शक्ति समाये हे


वशिष्ठ गुरु हा,ब्रह्मर्षि बनगे


हमर जिनगी हा,जाहरा होगे हे


अंधियारी परगे हे,आंखी मा


मर मर के हमन, जियत हन


हांस हांस के जियन हम मन हा


अइसन किरपा, ते बरसा दे


हंसा में होके संवार, हाथ में कमंडल धर


आ जाओ गायत्री माता, हमर घर आंगन


मैंहा बड़े हो कहिके, मनखे काटत हे


मनखे के गोड


अइसन कलजुग ह, खरागे हे


सुख दुःख प्रेम मया के गोठ


दिनोदिन नदावत हवय


माता तोर चरण मनावव


दुख पीरा गोहरावत हव


सप्त ऋषि के प्राण बिराजे


माता तोर मंदिर में


करो मंत्र जप,साधना मौन


भवसागर पार लगा दे


हंसा में होके संवार, हाथ में कमंडल धर


आ जाओ गायत्री माता, हमर घर आंगन


नूतन लाल साहू


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