गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता
माटी के लोंदे,जैसा शिष्य को
गुरु ही,बहुमूल्य बनाता है
पढ़ने वाले बच्चे,मोम जैसे होते हैं कच्चे
गुरु जैसे मोड़ दे, वैसे ही मुड़ जाते हैं
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
गौतम गांधी,श्री कृष्ण बलराम भी
अपने अपने गुरु का,शिष्य था
बाल्मिकी आश्रम में रहकर
बालपन में ही,लवकुश श्रेष्ठ बना
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
गुरु मुख से,ज्ञान की नदिया बहती हैं
जैसे गंगा जमुना सरस्वती
शिष्य का तन मन,पावन हो जाता है
सहाय होती है, मां शारदा भगवती
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
दुनिया के विधि को,विधि ने बनाया है
अब तक गुरु ही,शिष्य को श्रेष्ठ बनाया है
जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा धर्म है
यह ज्ञान भी,गुरु ने ही बताया है
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
चाहे घोर संकट ने घेरा हो
चाहे चारो ओर अंधेरा हो
मिलता है सच्चा सुख केवल
गुरु के उपदेशों को,साक्षात करने से
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
बिन गुरु प्रीत न उपजै
कबहु न पायो चैन
सूरज भी छोटा लगै
गुरु का जब,जग में फैले प्रकाश
गुरु कृपा अर्जित कर,मानुष जन्म सुधार
गुरु,शिष्य का भाग्य विधाता होता है
नूतन लाल साहू
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