नूतन लाल साहू

राम नाम ही सार है


सुमिरन कर ले, निशदिन राम नाम


हर दिन शुभ ही शुभ होगा


है घट घट के वासी,सुख के सागर है


ताप संताप मिटाने वाला,सबका दुःख हरता है


विश्वास कर भक्त प्रहलाद सा,वे बल के धाम है


प्रभु राम के दिव्य भजन से,बहुत आंनद मिलता है


सुमिरन कर ले, निशदिन राम नाम


हर दिन शुभ ही शुभ होगा


सब संपति तेरी, यही रहेगी


भाई बंधु कुटुंब कबीला


पाप पुण्य में कोई,सहभागी नहीं रहेगा


राम नाम अनमोल रतन है


जो जायेगा,संग में तेरा


सुमिरन कर ले, निशदिन राम नाम


हर दिन शुभ ही शुभ होगा


लख चौरासी भोग के आया


बड़े भाग मानुष तन पाया है


जिसने तुम्हे जन्म दिया है


उसका नाम,क्यों भुल रहा है


एक दिन ऐसा होगा बंदे


यमराज लेने को आयेगा


पूछेंगे हिसाब तेरा,पाप पुण्य का


तब तू क्या बतलायेगा


सुमिरन कर ले, निशदिन राम नाम


हर दिन शुभ ही शुभ होगा


कौड़ी को तो,खूब संभाला


लाल रतन क्यों छोड़ रहा है


छोड़ वृथा,अभिमान तू बंदे


अवसर बीता जा रहा है


चार दिनों का मेला है,जग


उड़ जायेगा,ये हंस अकेला


राम नाम को पतवार बना लेे


भवसागर पार हो जायेगा


सुमिरन कर ले, निशदिन राम नाम


हर दिन शुभ ही शुभ होगा


नूतन लाल साहू


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